उत्तराखण्ड में शुरू हुआ पीडीएनए, उत्तरकाशी–चमोली पहुंचीं विशेषज्ञ टीमें

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चार टीमें करेंगी आपदा प्रभावित जिलों का सर्वेक्षण, बिल्ड बैक बेटर सिद्धांत पर होगा पुनर्निर्माण

देहरादून 24 सितंबर। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की देखरेख में उत्तराखण्ड में पोस्ट डिज़ास्टर नीड्स असेसमेंट (पीडीएनए) की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो गई। एनडीएमए और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से गठित टीमें प्रभावित जिलों में सर्वेक्षण के लिए रवाना हो गई हैं। बुधवार को एक टीम उत्तरकाशी और दूसरी टीम चमोली पहुंची, जहां जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर गुरुवार से प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण शुरू करने का निर्णय लिया गया।

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि इस वर्ष मानसून में अतिवृष्टि, भूस्खलन और आकस्मिक बाढ़ से राज्य को भारी नुकसान हुआ है। अब तक 135 लोगों की मौत, 148 लोग घायल और 90 लोग लापता हुए हैं। साथ ही, पशुधन, संपत्ति और सड़क, बिजली, जलापूर्ति जैसे महत्वपूर्ण ढांचे को भी गंभीर क्षति पहुंची है।

पीडीएनए प्रक्रिया के लिए चार टीमें गठित की गई हैं।

पहली टीम: देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी और टिहरी

दूसरी टीम: पौड़ी, चंपावत, रुद्रप्रयाग

तीसरी टीम: पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर

चौथी टीम: ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और चंपावत

विशेषज्ञों की इन टीमों में सीबीआरआई, आईआईटी रुड़की और एनआईडीएम के वैज्ञानिकों व वरिष्ठ सलाहकारों के साथ राज्य और जिला स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं।

बिल्ड बैक बेटर पर होगा फोकस

सचिव सुमन ने कहा कि पीडीएनए का उद्देश्य आपदा से हुई क्षति का समग्र आकलन कर पुनर्वास और पुनर्निर्माण की एकीकृत रणनीति तैयार करना है। इसमें अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक आवश्यकताओं को शामिल किया जाएगा। रणनीति डिजास्टर रिस्क रिडक्शन और बिल्ड बैक बेटर सिद्धांतों पर आधारित होगी, ताकि पुनर्निर्माण कार्य न केवल सुरक्षित बल्कि टिकाऊ भी हो।

इन क्षेत्रों में होगा मूल्यांकन

पीडीएनए रिपोर्ट में सामाजिक, बुनियादी ढांचे और उत्पादक क्षेत्रों के साथ-साथ आपदा जोखिम न्यूनीकरण और पर्यावरणीय पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा।

सामाजिक क्षेत्र: आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, नागरिक सुविधाएं

बुनियादी ढांचा: पेयजल, स्वच्छता, सड़कें, पुल, विद्युत आपूर्ति

उत्पादक क्षेत्र: कृषि, बागवानी, पशुपालन, आजीविका, वानिकी, पर्यटन व सांस्कृतिक धरोहर

अंतिम रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा तैयार कर गृह मंत्रालय, भारत सरकार को प्रस्तुत की जाएगी।

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