हृदय देखभाल में स्मार्ट क्रांति: लीडलेस पेसमेकर हर धड़कन पर नियंत्रण

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देहरादून 2 सितंबर। हृदय रोगों के इलाज में अब एक नई तकनीक ने क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। हथेली से भी छोटे आकार का लीडलैस पेसमेकर अब अतालता (दिल की अनियमित धड़कन) जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए जीवन रक्षक साबित हो रहा है।

ब्रैडीकार्डिया जैसी स्थिति में, जब हृदय बहुत धीमा धड़कता है और शरीर को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता, यह तकनीक मरीजों को नया जीवन देती है। पारंपरिक पेसमेकर की तरह इसमें छाती पर चीरा, तार (लीड्स) या पॉकेट बनाने की जरूरत नहीं होती, जिससे संक्रमण और जटिलताओं का खतरा भी काफी कम हो जाता है।

भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और अन्य देशों में कार्डिएक रिदम मैनेजमेंट के महाप्रबंधक अजय सिंह चौहान का कहना है कि “लीडलैस पेसमेकर प्रत्यारोपण और जरूरत पड़ने पर निकालने की प्रक्रिया बेहद सहज है। यह मरीजों के लिए वास्तव में जीवन बदलने वाली तकनीक है।”

मैक्स अस्पताल देहरादून की निदेशक, हृदय विज्ञान विभाग, डॉ. प्रीति शर्मा ने कहा, “नई पीढ़ी के पेसमेकर न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया से लगाए जाते हैं। ये बाहर से दिखाई नहीं देते और मरीज जल्द ही अपनी दिनचर्या में लौट सकते हैं। खासतौर पर टियर 2 और टियर 3 शहरों के मरीजों के लिए यह तकनीक बड़ी राहत है।”

विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक न केवल सुरक्षित है बल्कि हृदय की धड़कन को अधिक प्राकृतिक बनाए रखती है। इलेक्ट्रिकल मैपिंग सुविधा से सटीक प्रत्यारोपण संभव हो पाता है, जिससे इलाज के नतीजे बेहतर मिलते हैं।

लीडलैस पेसमेकर के आने से हृदय देखभाल का एक नया मानक तय हो गया है, जो आधुनिक जीवन की गति और मरीजों की बदलती जरूरतों के साथ पूरी तरह मेल खाता है।

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