जौनसार आरक्षण पर नया विवाद – एडवोकेट विकेश नेगी का बड़ा खुलासा

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देहरादून 8 सितंबर ।आरक्षण व्यवस्था को लेकर जौनसार-बावर क्षेत्र एक बार फिर चर्चा में है। आरटीआई एक्टिविस्ट व एडवोकेट विकेश नेगी ने दावा किया है कि जौनसार को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा कभी भी आधिकारिक रूप से नहीं दिया गया। इसके बावजूद ब्राह्मण, राजपूत और अन्य सामान्य जातियों के लोगों को यहां पर एसटी प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं, जो उनके अनुसार पूरी तरह अवैध है।

नेगी का कहना है कि 24 जून 1967 को राष्ट्रपति के आदेश में उत्तर प्रदेश (तत्कालीन उत्तराखंड सहित) में केवल पांच जनजातियों – भोटिया, बुक्सा, जौनसारी, राजी और थारू – को अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया था। राज्य गठन (2000) के बाद भी यही सूची लागू है। संसद द्वारा संविधान में संशोधन के बिना कोई नई जाति एसटी में शामिल नहीं हो सकती।

एडवोकेट नेगी ने आरोप लगाया कि टाइपिंग मिस्टेक का फायदा उठाकर “जानसर” को “जौनसारी” पढ़कर पूरे क्षेत्र को लाभ पहुंचाया गया। उनका कहना है कि न तो कोई नया अध्यादेश जारी हुआ है, न संसद ने कोई संशोधन पारित किया है। केंद्र सरकार ने 2003 और 2022 में लोकसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में स्पष्ट किया कि उत्तराखंड में सिर्फ यही पांच जनजातियां एसटी हैं, राज्य में कोई “अनुसूचित जनजाति क्षेत्र” घोषित नहीं है।

नेगी का आरोप है कि जौनसार क्षेत्र के कुछ नेताओं ने जनता को भ्रमित कर राजनीतिक लाभ उठाया और आरक्षण का हक प्रदेश के योग्य अभ्यर्थियों से छीना गया। उनका कहना है कि ब्राह्मण और क्षत्रिय समुदाय के लोगों को एसटी का लाभ देना संविधान और राष्ट्रपति की अधिसूचना के खिलाफ है।
उन्होंने मांग की है कि जौनसार क्षेत्र में जारी सभी संदिग्ध एसटी प्रमाणपत्रों की जांच हो, एसटी श्रेणी से मिली नौकरियां सत्यापित हों और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। नेगी ने कहा कि जरूरत पड़ने पर यह लड़ाई हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जाएगी और शीघ्र ही केंद्र व राज्य सरकार को औपचारिक शिकायत भेजी जाएगी।
एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा कि प्रदेश के सामान्य वर्ग के बेरोजगारों के अधिकारों पर सीधा डाका है। नेताओं की साजिश से हजारों युवा वंचित हो गए हैं ।

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