हरिद्वार 3 अक्टूबर। यूपी सिंचाई विभाग द्वारा की जाने वाली वार्षिक गंगनहर बंदी का असर इस बार भी धर्मनगरी हरिद्वार में साफ दिखाई देने लगा है। हर की पैड़ी समेत विभिन्न घाटों पर गंगा में जल न होने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है।
हर साल दशहरे से दीपावली तक गंगनहर की सफाई और मरम्मत कार्यों के लिए पानी रोका जाता है। इस बार भी दशहरे के दिन से गंगनहर बंदी शुरू हुई है। गंगा में जल न मिलने से दूर-दराज से पहुंचे यात्री निराश होकर लौट रहे हैं।
गंगा पर निर्भर हरिद्वार का कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हो गया है। होटल, ट्रेवल एजेंसी और दुकानदार ग्राहकों के इंतजार में बैठे हैं, लेकिन न तो बुकिंग हो रही है और न ही बिक्री।
स्थानीय होटल व्यवसायी विभाष मिश्रा का कहना है कि “गंगा के बिना हरिद्वार सूना हो जाता है। श्रद्धालु न आने से होटल बुकिंग्स पूरी तरह ठप हो गई हैं।” वहीं, व्यापारी मोनू शर्मा ने कहा कि “हमारी रोज़ी-रोटी तीर्थयात्रियों पर निर्भर है। गंगा बंदी से कारोबार चौपट हो गया है।”
श्रद्धालुओं ने भी गंगा बंदी पर निराशा व्यक्त की। गंगा स्नान के लिए आए श्रद्धालु राहुल ने कहा कि “हम यहां गंगा स्नान करने आए थे लेकिन गंगा जी में पानी ही नहीं मिला। बहुत निराशा हुई।” वहीं सौरभ ने कहा कि “हरिद्वार का आकर्षण ही गंगा है। गंगा सूखी देखकर बहुत बुरा लगा।”
गंगा बंदी के चलते हरिद्वार का धार्मिक पर्यटन ठप हो गया है। व्यापारी और स्थानीय लोग जल्द से जल्द गंगा जल छोड़े जाने की मांग कर रहे हैं ताकि तीर्थनगरी की रौनक वापस लौट सके।
