देहरादून, 25 सितम्बर।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को नानूरखेड़ा स्थित एससीईआरटी ऑडिटोरियम में आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह में बोर्ड परीक्षा के मेधावी छात्रों और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को सम्मानित किया। इस अवसर पर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में शीर्ष 10 स्थान पाने वाले 75 छात्र-छात्राओं के साथ ही राज्य के 50-50 श्रेष्ठ विद्यालयों तथा तीन-तीन प्रधानाचार्यों को पुरस्कृत किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि उसमें राष्ट्रप्रेम, नैतिक मूल्य और व्यावहारिकता का समावेश भी जरूरी है। इसी सोच के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की है। धामी ने बताया कि उत्तराखंड सरकार शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल लाइब्रेरी, वर्चुअल कक्षाएं और ‘हमारी विरासत’ पुस्तक जैसी पहलें कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य के 226 विद्यालयों को पीएम श्री विद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है और 1300 विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएं संचालित हो रही हैं। सभी राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों को मुफ्त पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं, साथ ही मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति और भारत भ्रमण जैसी योजनाएं भी संचालित हैं।
भर्ती और नकल विरोधी कानून
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले चार साल में रिकॉर्ड 25 हजार युवाओं को पारदर्शिता के साथ सरकारी नौकरी मिली है। जबकि राज्य गठन के शुरुआती 21 वर्षों में मात्र 16 हजार नियुक्तियां ही हुई थीं। उन्होंने कहा कि नकल माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून उत्तराखंड में लागू किया गया है और अब तक 100 से अधिक नकल माफिया जेल भेजे गए हैं।
धामी ने कहा कि कुछ लोग युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेलने के लिए संगठित रूप से पेपर लीक का षड्यंत्र रच रहे हैं। हाल ही में भी ऐसा प्रयास किया गया, लेकिन सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है और एक-एक नकल माफिया को गिरफ्तार कर सजा दिलाई जाएगी।
अल्पसंख्यक शिक्षा कानून
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि एक जुलाई 2026 से राज्य में वही मदरसे मान्य होंगे जिनमें सरकारी बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। बिना शैक्षिक योग्यता के धार्मिक आधार पर बच्चों का भविष्य बिगाड़ने की प्रवृत्ति पर अब रोक लगेगी।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि इस वर्ष बोर्ड परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या 18 प्रतिशत बढ़ी है। अंक सुधार परीक्षा शुरू होने से छात्रों पर दबाव भी कम हुआ है।
कार्यक्रम में शिक्षा सचिव रविनाथ रामन, महानिदेशक शिक्षा दीप्ति सिंह समेत अनेक अधिकारी उपस्थित रहे।
