जिले में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए की जाय पशुओं के लिए उचित आहार की व्यवस्था।

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जिला योजना में प्रतिवर्ष बनाई जाए 500 गौशालाये पशु चारे में बढ़ाई जाए सब्सिडी

चंपावत 5 मई ।बाझ गायों को अनुपयोगी मानते हुए उसे आवारा छोड़ने के पीछे यदि उनका उपचार कर दुधारू बनाया जाए तो न केवल दूध की मात्रा बढ़ेगी बल्कि इससे किसान उन्हें छोड़ने के बजाय अपने गोठ में ही बांधी रखेंगे । पशुपालन विभाग में इनफर्टिलिटी किट या तो आते ही नहीं है या उनकी जिला योजना में डिमांड ही नहीं की जाती है। फीडसप्लीमेंट न मिलने से दूध में फैट की मात्रा नहीं आ पाती है फलस्वरूप किसानों का दूध 20 रुपए से लेकर 28 रुपए प्रति लीटर की दर से बिक रहा है जबकि पानी की बोतल 20 रुपए में मिलती है। कोलीढेक की धरी देवी पत्नी पहलाद राम का कहना है कि उसे 20 रुपए लीटर की दर से दूध बेचने के लिए विवश हो रही है । यहां 15 हजार दुधारू गाये है फिडसप्लीमेंट की इतनी मांग है कि अस्पताल से खाली हाथ लौटना पड़ता है । जरूरत इस बात की है कि है की उनकी जरूरत के मुताबिक
फीडसप्लीमेंट को पूरा किया जाना चाहिए ।
जिले में दूध का सर्वाधिक उत्पादन होता है लेकिन उत्पादकों के पास कायदे की गौशालाये नहीं है । भले ही मनरेगा से गोशाला बनाने के लिए 35 हजार रुपए दिए जाते हैं। जिसमें मात्र छत पर ही बन पाती है। अच्छी गौशाला के लिए कम से कम एकलाख की लागत आती है। ऐसी स्थिति में 65 हजार की व्यवस्था जिला योजना में की जानी चाहिए ।किसानों को पशु चारे के रूप में मक्का ,जयी,चरी आदि आवश्यकता होती है जिसकी पर्याप्त उपलब्धता जरूरी है ।
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एनसीडीसी योजना में जिला स्तर से की जाए गायों की खरीद
चंपावत। भारत सरकार द्वारा संचालित एनसीडीसी योजना में महिला किसानों को 75 फ़ीसदी सब्सिडी में दुधारू पशु का प्रावधान है जिसमें शर्त यह है कि गायों को उत्तराखंड के बाहर के जिलों से लाना अनिवार्य है । मैदानी क्षेत्र में 60 हजार रुपए में लाई जा रही है गाये उन्हें स्थानीय स्तर पर आदि कीमत में मिल जाती है । यहां का क्लाइमेट इन गायों के लिए न तो अनुकूल होता है और न उनके लिए खानपान व गोठ की व्यवस्था हो पाती है ।

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