वन नेशन वन इलेक्शन की प्रक्रिया लागू होने से देश पर कम पड़ेगा आर्थिक बोझ।

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चुनाव प्रक्रिया के एक पायदान में आने से देश मे चहुमुखी विकास के खुलेंगे द्वार- भाजपा प्रवक्ता

चंपावत। वन नेशन वन इलेक्शन की प्रक्रिया देश मे नए सिरे से प्रस्तावित किए जाने पर काँग्रेस जैसी पार्टिया विरोध करने पर भाजपा प्रवक्ता राजेश बिष्ट को काँग्रेस की मानसिकता पर तरस या रहा है। उनका कहना है की देश मे लोकतान्त्रिक व्यवस्था लागू होने के बाद 1967 तक पूरे राष्ट्र मे एक साथ चुनाव हुआ करते थे। 1967 मे काँग्रेस के चौधरी चरण सिंह के द्वारा गठित संयुक्त विधायक दल की सरकार को गिरा कर उत्तर प्रदेश के लोगों पर मध्यावधी चुनाव थोप दिए गए इसके बाद जहा कही भी काँग्रेस की सरकारे अस्तित्व मे नहीं आ पाई वहा काँग्रेस द्वारा ऐसी सरकारों को गिराने का दौर जारी रहा तथा देश मे असमय लोक सभा और विधान सभा के चुनाव होने लगे जिससे देश पर भारी वित्तीय बोझ पड़ने लगा। श्री बिष्ट ने काँग्रेस पर देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना का आरोप लगाते हुए बताया की आजादी के बाद लगातार 15 वर्षों तक एक देश एक चुनाव हुआ करते थे जिसका नेतृत्व केंद्र और राज्यों मे काँग्रेस ही किया करती थी, लेकिन इससे बड़ा देश के लिए दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि जिस काँग्रेस ने सदा राष्ट्रीय हितों की अनदेखी कर अपने प्रभुत्व को जमाने के लिए जो हथकन्डे अपनाए जाते रहे है वही हथकन्डे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे नए भारत मे भी अपनाए जा रहे है, लेकिन अब यह सब नहीं चलेगा। मोदी सरकार राष्ट्रहितों को सर्वोपरि रखते हुए चुनाव मे पड़ने वाले वित्तीय दबाव को कम करने के साथ देश के विकास मे और तेजी लाने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था को लागू करने जा रही है जिस व्यवस्था को हमारे संविधान निर्माताओ ने निर्धारित किया था उसी व्यवस्था को आज माननीय प्रधानमंत्री जी देश में लागू करने जा रहे है। इस व्यवस्था मे कुछ भी नया नहीं है भाजपा प्रवक्ता का कहना है की यह पुरानी शराब की बोतल मे नया नाम चस्पा किया जा रहा है। एक साथ चुनाव होने से देश मे विकास के नए द्वार खुलने लगेंगे। अलग अलग समय मे चुनाव प्रक्रिया अपनाए जाने से देश मे चुनाव आचार संहिता के लगने से विकास मे बहुत बाधाये आने के साथ चुनाव संचालन का खर्च भी लगातार बढ़ता गया यानि देश के हर नागरिक के ऊपर नए टैक्सो की मार पड़ती रही।

श्री बिष्ट ने उधारण दिया की वर्ष 2019 मे हुए लोकसभा चुनाव मे 55000-60000 करोड़ का खर्च आया था जबकि 2024 मे हुए लोकसभा चुनाव मे खर्च की सीमा 1.35 लाख करोड़ रुपये पहुच गई यदि देश मे एक साथ चुनाव होते तो हर पाँच साल मे देश को 12000 करोड़ रुपये की बचत होती इस धनराशि से देश मे तमाम विकास कार्यों, शिक्षा, चिकित्सा के ढांचे को मजबूत करने के साथ हम भारतीय रक्षा पंक्ति को और कई गुना अधिक मजबूती प्रदान कर सकते है। भाजपा प्रवक्ता का साफ कहना है की काँग्रेस की मनमानी एवं सामंतवादी सोच का राष्ट्रीय स्तर पर अवसान होता जा रहा है तथा काँग्रेस अपना वजूद समाप्त होता देख कर अब राष्ट्र को कमजोर करने के लिए हर स्तर पर मौके की तलाश कर राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ खड़ी होती नज़र आ रही है लेकिन प्रखर राष्ट्रवादी सोच वाले माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उनका षड्यन्त्र विफल होता जा रहा है।

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