देहरादून(अनिल भट्ट)17 सितंबर ।
प्रदेश में पिछले चार महीनों से बारिश के कारण भयंकर आपदा आई हुईं है और सरकारी तंत्र पूरी तरह सुप्त अवस्था में सोया हुआ है जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है और मुख्यमंत्री केवल निर्देश दे रहे हैं जिनका कोई पालन नहीं कर रहा यह बात आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अपने कैंप कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा की पूरे प्रदेश में साढ़े पांच सौ से ज्यादा मार्ग जिनमें राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग व संपर्क मार्ग शामिल हैं बरसात के कारण क्षति ग्रस्त हैं व बंद पड़े हैं किंतु इनको खोलने व दुरुस्त करने के लिए जिस तेजी व युद्ध स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है वो कहीं नजर नहीं आ रही। श्री धस्माना ने कहा कि ऋषिकेश से लेकर बद्रीनाथ केदारनाथ तक के राष्ट्रीय राजमार्ग की बुरी गत बनी हुई है। अगस्तमुनि से लेकर गुप्तकाशी , कालीमठ,गौरीकुंड, सोनप्रयाग तक रास्तों का बुरा हाल है। बद्रीनाथ रूट पर जोशीमठ से ले कर बद्रीनाथ तक रास्ता बदहाल है। कोटद्वार से लेकर पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग व इसी तरह यमुनोत्री और गंगोत्री के यात्रा रूट भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। श्री धस्माना ने कहा कि जब राष्ट्रीय राजमार्ग व राज्य राजमार्ग की यह दुर्दशा है तो अंदरूनी संपर्क मार्गों की तो कोई भी कल्पना कर सकता है । श्री धस्माना ने कहा कि जिस तरह सरकार वन अग्नि को नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम रही उसी तरह बारिश के कारण आई आपदा से निपटने में भी सरकार पूरी तरह से फ्लॉप हुई है और अब जब बारिशें खत्म होने को हैं तब मुख्यमंत्री मार्गों को खोलने के लिए निर्देश दे रहे हैं जो हास्यास्पद है क्योंकि अब बारिशों के बाद तो सड़कों को खोलने का रूटीन काम विभाग द्वारा किया ही जायेगा लेकिन पिछले चार महीनों से प्रदेश के लोगों ने जो पीड़ा सही उसकी जवाबदेही किसकी है और उसके लिए किसी को दंडित किया जाएगा या नहीं । श्री धस्माना ने कहा की उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य हैं जहां अलग से आपदा प्रबंधन मंत्रालय व पूरा विभाग व आपदा प्रबंधन मंत्री है किंतु अब यह विभाग ही राज्य की सबसे बड़ी आपदा बन गया है क्योंकि गर्मियों में वन अग्नि की घटनाओं में ढाई हजार हैक्टेयर जंगल जल गए लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग का अता पता नहीं , बरसात में चार महीनों से सैकड़ों सड़कें बंद पड़ी है विभाग की कोई जिम्मदारी नहीं तो ऐसे आपदा प्रबंधन मंत्रालय का होना ना होना एक समान है । श्री धस्माना ने कहा कि मुख्यमंत्री को आपदा प्रबंधन विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने चाहिए जिनकी लापरवाही के कारण जंगलों में आग लगी और जो बंद पड़ी सड़कों को अब तक नहीं खोल पाए।
