आईसीएआर ने देहरादून के किसानों को दी नई गेहूँ की किस्में — डीबीडब्ल्यू 371 और डीबीडब्ल्यू 372

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देहरादून, 30 अक्टूबर। आईसीएआर–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून द्वारा रायपुर ब्लॉक के किसानों को दो नई विकसित गेहूँ की किस्मों — डीबीडब्ल्यू 371 और डीबीडब्ल्यू 372 के ट्रुथफुल लेबल बीज वितरित किए गए। ये दोनों किस्में आईसीएआर–भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा) द्वारा विकसित की गई हैं और उत्तर भारत के लिए अनुशंसित हैं।

इन किस्मों का वितरण किसान प्रथम परियोजना के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में किया गया, जिसमें लगभग 50 किसानों को प्रत्येक को 20 किलोग्राम बीज परीक्षण हेतु प्रदान किए गए।

परियोजना के प्रमुख अन्वेषक एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बांके बिहारी ने बताया कि इन किस्मों की विशेषता उच्च आनुवंशिक क्षमता, अधिक उत्पादन, पोषक गुणवत्ता, रोग प्रतिरोधकता और क्षेत्रीय अनुकूलता है। उन्होंने कहा कि मैदानी क्षेत्रों में इन किस्मों से 75–85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और देहरादून क्षेत्र में 40–50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है, जबकि पारंपरिक किस्में केवल 15–18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ही देती हैं। इसके साथ ही इन किस्मों से पर्याप्त मात्रा में भूसा भी प्राप्त होता है, जिससे पशुपालन को भी लाभ मिलेगा।

डॉ. एम. मुरुगानंदम, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख (पीएमई एवं नॉलेज मैनेजमेंट यूनिट), ने किसानों से गुणवत्तापूर्ण बीज और कृषि इनपुट्स के उपयोग पर बल देते हुए सलाह दी कि वे अपनी फसल से अगले सीजन के लिए बीज सुरक्षित रखें।

डॉ. अभिमन्यु झाझरिया, वैज्ञानिक, आईआईएसडब्ल्यूसी ने बताया कि इन नई किस्मों को अपनाने से किसानों की आय में वृद्धि होगी और उनकी आजीविका अधिक सुरक्षित होगी।

किसानों को फसल की अधिकतम उत्पादकता हेतु वैज्ञानिकों ने तकनीकी सुझाव दिए, जिनमें समय पर बुवाई (30 अक्टूबर से 20 नवम्बर), बीज उपचार, पहली सिंचाई 35 दिन बाद, निराई-गुड़ाई, खरपतवार नियंत्रण और 5–6 सिंचाई की अनुशंसा शामिल रही।

कार्यक्रम के दौरान प्रत्येक किसान से बीजों के वैध उपयोग और पुनः उत्पादन हेतु व्यक्तिगत समझौता भी किया गया।

संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि बीते तीन वर्षों में क्षेत्र में वितरित उन्नत किस्मों जैसे पीबीडब्ल्यू 343, डीबीडब्ल्यू 222, डीबीडब्ल्यू 303, डीबीडब्ल्यू 187, वीएल 967 और वीएल 953 के कारण क्षेत्र में 80% तक बीज प्रतिस्थापन दर हासिल की गई है।

किसानों ने नई किस्मों के प्रति उत्साह दिखाते हुए आईआईएसडब्ल्यूसी के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर श्री कुशल पाल सिंह (एफपीओ कोटिमाचक), मलिक और विकास कुमार सहित कई किसान उपस्थित रहे।

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