शिक्षा व्यवस्था में बदलाव का वाहक बना विद्या समीक्षा केन्द्र : डॉ. धन सिंह रावत

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डेटा आधारित निर्णयों से पारदर्शिता, जवाबदेही व दक्षता में आया सुधार
छात्र प्रदर्शन, उपस्थिति व शिक्षक सहभागिता पर रखी जा रही सतत निगरानी

देहरादून, 5 अक्टूबर।
नई शिक्षा नीति–2020 के तहत स्थापित विद्या समीक्षा केन्द्र उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम साबित हो रहा है। इस केन्द्र के माध्यम से शिक्षा विभाग में अब डेटा आधारित निर्णय लिये जा रहे हैं, जिससे शिक्षण गुणवत्ता, उपस्थिति और संसाधन प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार आया है। वर्तमान में प्रदेश के 16,052 विद्यालय इस केन्द्र से जुड़े हुए हैं और अब तक 46,000 से अधिक शिक्षकों को सतत पेशेवर विकास (CPD) के तहत प्रशिक्षित किया जा चुका है।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी, प्रखर और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से विद्या समीक्षा केन्द्र की स्थापना की थी। अब विद्यालय स्तर से लेकर महानिदेशालय स्तर तक सभी निर्णय वास्तविक समय के आँकड़ों पर आधारित होकर लिये जा रहे हैं, जिससे शिक्षा प्रणाली में उत्तरदायित्व और दक्षता दोनों में वृद्धि हुई है।

डॉ. रावत ने बताया कि विद्या समीक्षा केन्द्र के माध्यम से प्रदेश के सभी जनपदों के विद्यालयों में छात्र प्रदर्शन, उपस्थिति और शिक्षक सहभागिता की रीयल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है। लगभग 95 प्रतिशत विद्यालयों में ‘मेरी उपस्थिति चैटबॉट’ के जरिये छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति डिजिटल रूप में दर्ज की जा रही है। साथ ही 6.5 लाख छात्रों को ‘पारख उत्तराखंड’ के माध्यम से उपचारात्मक शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई गई है।

अब तक 57,000 से अधिक छात्रों का निपुण मूल्यांकन और 46,323 शिक्षकों का सीपीडी प्रशिक्षण ई-सृजन चैटबॉट के जरिये पूरा किया जा चुका है, जिससे शिक्षकों की डिजिटल दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

शिक्षा मंत्री ने बताया कि विद्या समीक्षा केन्द्र के तहत 6-ए फ्रेमवर्क विकसित किया गया है, जिसमें उपस्थिति, मूल्यांकन, अनुकूलनशील अधिगम, प्रमाणन, प्रशासन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित मॉड्यूल शामिल हैं। इससे विद्यालयों से डेटा संग्रहण की प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और विश्वसनीय बन गई है।

डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि “विद्या समीक्षा केन्द्र की मदद से अब निर्णय अधिक सटीक, त्वरित और प्रभावी हो रहे हैं। यह केन्द्र उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली को डिजिटल, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।”

उन्होंने बताया कि भविष्य में इस परियोजना के माध्यम से शिक्षक प्रशिक्षण, छात्र अधिगम और नीतिगत निर्णय प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।

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