

हरिद्वार, 16 सितंबर। देवभूमि उत्तराखंड स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि) हरिद्वार में “एआई: विश्वास एवं भविष्य” विषय पर अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ। इस दौरान देश-विदेश से आए एआई विशेषज्ञों, दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं और बीस देशों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार साझा किए।
सम्मेलन का शुभारंभ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या और अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आधुनिक युग में एआई की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने एआई को आध्यात्मिक मूल्यों के साथ जोड़ने पर बल देते हुए कहा कि इसके माध्यम से भारत के ज्ञान और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहुँचाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में विज्ञान और अध्यात्म का अद्वितीय संगम है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आर्यभट्ट, आचार्य कणाद, नागार्जुन और पतंजलि जैसे महान भारतीय आचार्यों के योगदान पर ही आधुनिक विज्ञान टिका हुआ है। उन्होंने कहा कि एआई मात्र तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है। यदि इसका सही दिशा में उपयोग हो, तो यह करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
देसंविवि के प्रतिकुलपति और संयुक्त राष्ट्र के “आस्था एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” आयोग के एशिया क्षेत्र के कमिश्नर डॉ. चिन्मय पंड्या ने चेतावनी दी कि एआई कहीं भस्मासुर न बन जाए। उन्होंने कहा कि नैतिकता, गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर भारत सरकार के एआई मिशन के सीईओ डॉ. अभिषेक सिंह, स्विट्जरलैंड की इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन के सचिव जनरल मार्टिन चुंगोंग (वीडियो संदेश के माध्यम से), स्टुअर्ट रसेल, जान टैलिन, रॉबर्ट ट्रैगर, विलियम जोन्स, स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, नालंदा विवि के कुलपति डॉ. सचिन चतुर्वेदी सहित कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए।
सम्मेलन में अतिथियों को डॉ. चिन्मय पंड्या ने गायत्री महामंत्र चादर और देसंविवि का प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष स्वामी यतीश्वरानंद, विधायक मदन कौशिक, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, राज्यमंत्री डॉ. जयपाल सिंह चौहान सहित अनेक जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। यह सम्मेलन विज्ञान और अध्यात्म के संगम के साथ एआई के भविष्य की दिशा तय करने वाला ऐतिहासिक आयोजन साबित हुआ।








