राजशाही समर्थक ताकतों द्वारा की गई हिंसा और लूटपाट की निंदा एसएपीएफ द्वारा लोकतांत्रिक ताकतों से एकजुट होने की अपील

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नई दिल्ली 30। साउथ एशिया पीजेंट फेडरेशन (एसएपीएफ) ने काठमांडू में राजशाही समर्थक ताकतों द्वारा की गई हिंसा और लूटपाट की कड़ी निंदा की है। एसएपीएफ ने इसके विरोध में नेपाली जनता और खासकर नेपाल के किसानों-मजदूरों, बुद्विजीवियों, व्यवसायियों से नेपाल में लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की है।
एसएपीएफ का कहना है कि राजशाही के दौर में सामंती शोषण और दमन के खिलापफ दशकों तक चले संघर्ष के बाद नेपाली जनता ने राजशाही को उखाड़ कर लोकतंत्र की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। नेपाल के मजदूर किसानों के प्रतिनिधि कम्युनिस्ट संगठन नेपाल में लोकतंत्र स्थापना के संघर्ष में सबसे आगे रहे हैं। लोकतंत्र स्थापना के बाद नेपाली समाज आगे बढ़ा है और नेपाल के मजदूर किसानों का नेपाल की सरकार के गठन में राजनीतिक भूमिका बढ़ी है।
एसएपीएफ ने कहा कि नेपाली मजदूर किसानों की इस बढ़ी राजनीतिक भूमिका से नेपाल की सामंती ताकतें और दलाल पूजीपति वर्ग घबराया हुआ है इसलिए उसके साथ मिलकर दुनिया की साम्राज्यवादी और विस्तारवादी दक्षिणपंथ की ताकतें नेपाल में लोकतंत्र को पलटने के प्रयास में लगी हैं।
एसएपीएफ ने कहा कि जरूर नेपाल में कम्युनिस्टों के बीच बिखराव और खींचातान ने लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने वाले देश के किसानों मजदूरों को कुछ निराश भी किया है। नेपाल में राजशाही समर्थक ताकतों को मजदूर किसानों में बढ़ रही इसी निराशा का फायदा मिल रहा है। कुछ समय से अपदस्थ राजा की राजनीतिक गतिविधियां और कल काठमांडू में हुई हिंसा व लूटपाट इसी निराशा से पैदा माहौल का नतीजा है।
एसएपीएफ साउथ एशिया पीजेंट फेडरेशन ने नेपाली किसान, मजदूर, बुद्विजीवी, व्यवसायी और वहां की तमाम वामपंथी, प्रगतिशील ताकतों से एक होकर नेपाली लोकतंत्र के पक्ष में मजबूती से खड़े होने की अपील की है।

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