देहरादून, 16 दिसंबर।
विजय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी पार्क, देहरादून में आयोजित श्रद्धांजलि एवं सम्मान समारोह में प्रतिभाग कर शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित किया और वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने 1971 के युद्ध के सैनिकों एवं शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में घोषणा की कि सैनिक कल्याण निदेशालय तथा जिला सैनिक कल्याण कार्यालयों—डीडीहाट, हरबर्टपुर, पिथौरागढ़ और हरिद्वार—कुल पाँच कार्यालयों को सरकारी वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने विजय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 1971 का युद्ध भारतीय सेना के शौर्य, त्याग और अटूट राष्ट्रनिष्ठा की गौरवगाथा है, जो इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में पाकिस्तान के लगभग 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया, जबकि वीरभूमि उत्तराखंड के 248 सपूतों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। राज्य के 74 सैनिकों को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जो प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना को आधुनिक तकनीक और स्वदेशी हथियारों से सुसज्जित किया जा रहा है। भारत आज रक्षा सामग्री के निर्यातक शीर्ष देशों में शामिल हो चुका है। स्वदेशी हथियारों की क्षमता ने विश्व पटल पर भारत की सशक्त पहचान स्थापित की है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए संकल्पित है। शहीदों के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये की गई है। वीरता पुरस्कारों पर दी जाने वाली एकमुश्त एवं वार्षिकी राशि में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। साथ ही, बलिदानियों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, नौकरी हेतु आवेदन अवधि को 5 वर्ष करने, निःशुल्क बस यात्रा, स्टाम्प ड्यूटी में छूट, तथा देहरादून के गुनियाल गाँव में भव्य सैन्य धाम के निर्माण जैसे निर्णय लिए गए हैं।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि 1971 के युद्ध में देश के करीब 4 हजार सैनिक शहीद हुए, जिनमें उत्तराखंड के 248 वीर शामिल थे। सैनिकों का सम्मान प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है और केंद्र व राज्य सरकार मिलकर उनके कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं।
इस अवसर पर विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी, मेजर जनरल (से.नि.) सम्मी सबरवाल, पूर्व सैनिक एवं वीरांगनाएँ उपस्थित रहीं।









