देहरादून 18 सितंबर। दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर और स्पेक्स के संयुक्त तत्वावधान में “दि देहरादून डायलॉग” के अंतर्गत गुरुवार को एक महत्वपूर्ण व्याख्यान आयोजित हुआ। विषय था “खाद्य मिलावट को जानें और पहचानें”, जिसमें देश के जाने-माने पर्यावरण वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बृज मोहन शर्मा ने छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और आम नागरिकों को संबोधित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के डॉ. चंद्रशेखर तिवारी के स्वागत भाषण से हुई। इस अवसर पर हरि राज सिंह ने डॉ. शर्मा का परिचय प्रस्तुत किया। सहयोगी संस्थाओं में श्री देव सुमन विश्वविद्यालय, उत्तरांचल विश्वविद्यालय, समय साक्ष्य और स्पीकिंग क्यूब शामिल रहे।
डॉ. शर्मा ने कहा कि खाद्य मिलावट कोई नई समस्या नहीं है, लेकिन आधुनिक समय में यह अधिक व्यापक और खतरनाक हो गई है। दूध, पनीर, घी, आटा, चीनी, हल्दी, चाय, नमक, दाल, फल-सब्ज़ियों तक—लगभग हर उपभोक्ता वस्तु में मिलावट किसी न किसी रूप में मौजूद है। उन्होंने मंच पर ही घरेलू परीक्षणों के जरिए दूध में पानी, हल्दी में रंग, चीनी में चॉक, आटे में चूना व मैदा जैसी मिलावट पहचानने के आसान उपाय प्रदर्शित किए।
उन्होंने बताया कि 1999 से स्पेक्स संस्था मिलावट विरोधी अभियान चला रही है और 2004 में “रसोई कसौटी” नामक घरेलू परीक्षण किट विकसित की, जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी। इस किट के जरिए आम नागरिक घर पर ही खाद्य वस्तुओं की शुद्धता जांच सकते हैं। उत्तराखंड में स्पेक्स का “चारधाम मिलावट से मुक्ति अभियान” विशेष रूप से सफल रहा है।
व्याख्यान में 98 प्रतिभागियों ने प्रत्यक्ष व ऑनलाइन सहभागिता की। डॉ. आर.पी. भट्ट, पूर्व महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि समाज को जागरूक करने के ऐसे प्रयास लगातार होने चाहिए।
कार्यक्रम में डॉ. यशपाल सिंह, डॉ. दिनेश सती, रानू बिष्ट, डॉ. विनोद कुमार भट्ट, बालेंदु जोशी, डॉ. विजय गंभीर, हिमांशु आहूजा, विजय भट्ट, आर.के. मुखर्जी, राम तिरथ मोर्या और अशोक कुमार सहित अनेक विशेषज्ञ और समाजसेवी उपस्थित रहे।








