महिलाओं का बोझ कम, बच्चों की शिक्षा में सुधार; कुछ सुधारों की भी सिफारिश
देहरादून 12 सितंबर। उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू जल जीवन मिशन (हर घर जल कार्यक्रम) की दिशा और उपलब्धियों पर गढ़वाल की 16 वर्षीय छात्रा अवनि नौटियाल के फील्ड रिसर्च ने सकारात्मक तस्वीर पेश की है। मुंबई में पढ़ाई कर रही अवनि पौड़ी जिले के मसाण गांव की मूल निवासी हैं। उन्होंने कोट ब्लॉक के 6 गांवों में 

सर्वे और साक्षात्कार कर इस महत्वाकांक्षी योजना के प्रभाव का मूल्यांकन किया।
अध्ययन उत्तराखंड जल संस्थान और उत्तराखंड जल निगम के सहयोग से किया गया और इसके निष्कर्ष राज्य पेयजल विभाग के सचिव को प्रस्तुत किए गए। रिसर्च में 60 से अधिक महिलाओं से व्यक्तिगत बातचीत और समूह चर्चाओं के आधार पर जानकारी जुटाई गई।
गांवों में जीवन आसान हुआ
शोध से पता चला कि हर घर तक कार्यशील नल से पानी उपलब्ध होने से ग्रामीण महिलाओं को पानी लाने की मेहनत से राहत मिली है। अब उन्हें परिवार, बच्चों और अन्य उत्पादक कार्यों के लिए अधिक समय मिल रहा है। बच्चों की स्कूल उपस्थिति में भी सुधार दर्ज किया गया है।
एक ग्रामीण महिला (नाम परिवर्तित) ने कहा—“पहले हमें दिन में कई बार लगभग 30 मिनट पैदल चलकर पानी लाना पड़ता था। गिरने और जंगली जानवरों के डर से सिरदर्द हो जाता था। अब घर में नल से पानी मिलता है तो यह तनाव खत्म हो गया है।”
चुनौतियां अब भी बाकी
अप्रैल से जुलाई के बीच जल आपूर्ति में कमी देखी गई। इस दौरान गर्मी की छुट्टियों और पूजा-पाठ के कारण गांवों में आबादी बढ़ जाती है, जबकि जल स्रोतों की उपलब्धता घट जाती है। कुछ गांवों में कंट्रोल वाल्व से छेड़छाड़ के कारण पानी का असमान वितरण भी चुनौती बनी हुई है। अवनि ने सुझाव दिया कि कम लागत वाले सेंसर लगाए जाएं ताकि ऐसी छेड़छाड़ की तुरंत जानकारी मिल सके। साथ ही, शिकायत निवारण की स्पष्ट प्रणाली और तय सेवा स्तर समझौते जरूरी हैं।
सरकार ने सराहा पहल
अपने अनुभव साझा करते हुए अवनि ने कहा—“जल जीवन मिशन गांवों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने वाला साबित हुआ है। यदि कुछ सुधार किए जाएं तो इसकी प्रभावशीलता और बढ़ सकती है।”
राज्य पेयजल विभाग के सचिव शैलेश बगौली ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा—“यह देखकर उत्साहजनक है कि उत्तराखंड की युवा पीढ़ी राज्य की चुनौतियों के समाधान खोजने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। सुश्री नौटियाल की रिपोर्ट इस दिशा में सशक्त प्रयास है।”









