पौराणिक परंपरा संग शुरू हुआ देवीधुरा बग्वाल मेला, जिलाधिकारी ने किया उद्घाटन

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चंपावत 05 अगस्त ।

*धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक रंग में रंगा देवीधुरा, जिलाधिकारी मनीष कुमार ने किया मेले का विधिवत शुभारंभ*

उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक मेले देवीधुरा बग्वाल मेले (आषाढ़ी मेला) का 05 अगस्त से चंपावत जनपद के ऐतिहासिक देवीधुरा धाम में भव्य शुभारंभ हो गया। यह 11 दिवसीय मेला 16 अगस्त तक श्रद्धा, संस्कृति और सुरक्षा के समन्वय के साथ संपन्न होगा।

मुख्य अतिथि जिलाधिकारी श्री मनीष कुमार ने मंगलवार को माँ वाराही देवी मंदिर परिसर के निकट मुख्य द्वार पर फीता काटकर मेले का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर स्थानीय जनता, श्रद्धालु, जनप्रतिनिधि, अधिकारीगण एवं स्कूली बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। ढोल-नगाड़ों, पारंपरिक छलिया नृत्य, और कलश यात्रा के माध्यम से अतिथियों का भावपूर्ण स्वागत किया गया। मुख्य बाजार से मंदिर मंडल तक निकाली गई शोभायात्रा में महिलाओं और छात्राओं ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लेकर लोक आस्था का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।

उद्घाटन के पश्चात जिलाधिकारी श्री मनीष कुमार ने माँ वाराही देवी के दर्शन कर विधिवत पूजन-अर्चन किया तथा जनपदवासियों की समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना की।

कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत संस्कृत महाविद्यालय देवीधुरा के विद्यार्थियों और राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं द्वारा वेद मंत्रों एवं स्वास्तिक वाचन से किया गया।

जिलाधिकारी श्री मनीष कुमार ने कहा कि देवीधुरा बग्वाल मेला केवल एक पर्व नहीं, अपितु हमारी पौराणिक परंपराओं, सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक समरसता का एक जीवंत उदाहरण है। उन्होंने बताया कि यह आयोजन मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा परिकल्पित “आदर्श चंपावत” की अवधारणा को मूर्त रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मेला धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ क्षेत्र की आर्थिकी और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होगा।

जिलाधिकारी श्री मनीष कुमार ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए प्रशासन द्वारा व्यापक स्तर पर समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग, पेयजल, रैन बसेरा एवं शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। बग्वाली वीरों के लिए खेल मैदान का सुदृढ़ीकरण कराया गया है, साथ ही श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन हेतु सुव्यवस्थित बैठने की व्यवस्था एवं परिक्रमा मार्ग का निर्माण भी किया गया है। मेला क्षेत्र को विभिन्न सेक्टरों में विभाजित कर प्रत्येक सेक्टर के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति की गई है, ताकि निगरानी व्यवस्था प्रभावी रहे। वर्षा ऋतु को देखते हुए जल निकासी को सुचारु बनाए रखने के लिए नालियों की सफाई, सुरक्षा दीवारों का निर्माण एवं पानी की निकासी की विशेष व्यवस्था की गई है। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा खाद्य सामग्री की नियमित जांच हेतु दुकानों से नमूने लिए जा रहे हैं और व्यापार मंडल को सभी दुकानों में अग्निसुरक्षा की अनिवार्य व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। चिकित्सा सुविधाओं के तहत विशेषज्ञों की टीम तैनात की गई है, जिसमें हड्डी रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं। वीआईपी आगंतुकों की सुविधाओं के लिए पृथक आवाजाही व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, वहीं विद्युत आपूर्ति में किसी भी प्रकार की बाधा की स्थिति में यूपीसीएल को त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

मंदिर समिति की ओर से जिलाधिकारी को स्मृति चिन्ह और अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सभी उपस्थितजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर उपजिलाधिकारी नीतीश डांगर, सीओ एस.एस. राणा, जिला पंचायत के एएमए कमलेश बिष्ट, लड़वाल फाउंडेशन के सीईओ नरेंद्र सिंह लड़वाल, मंदिर समिति अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, रौशन सिंह लमगड़िया, हयात सिंह बिष्ट, खीम सिंह लमगड़िया, त्रिलोक सिंह बिष्ट (खाम प्रमुख), वीरेंद्र लमगड़िया, विशन सिंह चम्याल, दीपक चम्याल, ईश्वर सिंह (बीडीसी सदस्य), राजू बिष्ट सहित अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं नागरिकगण उपस्थित रहे।आगामी 9 अगस्त को आयोजित होने वाली ऐतिहासिक बग्वाल युद्ध की तैयारियों को लेकर भी जिलाधिकारी ने स्थल का निरीक्षण कर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए।

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