हर क्षेत्र में तकनीकी एवं आधुनिक ज्ञान-विज्ञान का सहारा लिए जाने से लोगों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं।
चंपावत 13 अप्रैल । दैवीय आपदा की दृष्टि से देवभूमि काफी संवेदनशील रही है, किंतु आधुनिक ज्ञान-विज्ञान एवं तकनीकी के जरिए आपदा की मार को कम किया जा सकता है। इसके लिए सेतु आयोग आईआईटी रुड़की से मिलकर ऐसा प्रयास कर रहा है, जिससे लोगों को भूकंप जैसी जानलेवा आपदाओं की पहले से जानकारी मिलने से जान माल की रक्षा करने में बड़ी मदद मिलेगी। स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर एंपावरिंग उत्तराखंड “सेतु” आयोग के उपाध्यक्ष एवं देश के जाने-माने टेक्नोक्रेट राजशेखर जोशी द्वारा इस पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद लोगों की बेहतरी के लिए हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीकी के प्रयोग को अपनाया जा रहा है। डा जोशी का कहना है कि हर कार्य में नई जानकारी पाने के लिए डाटा एनालिसिस हेतु तंत्र को विकसित किया जाना आज की ज्वलंत आवश्यकता है। मौसम की सटीक जानकारी के लिए देवभूमि में 10 डॉपलर रडार लगाए जाएंगे। वर्तमान में उत्तराखंड में 177 सेंसर तथा 192 सायरन काम कर रहे हैं। निकट भविष्य में पांच सौ नए सेंसर एवं एक हजार सायरन और लगाने की योजना है, जिससे दैवीय आपदा की स्थिति में लोगों को जानकारी मिल सके। डा जोशी का कहना है कि दैवीय आपदा से निपटने के लिए जहां आधुनिक तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है, इसी के साथ ही इस संबंध में लोगों का जागरूक होना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि हर क्षेत्र को नवाचार से जोड़ने के लिए तकनीकी संस्थाओं के बीच सहयोग और समन्वय स्थापित कर लोगों को बेहतर सेवाएं देने का प्रयास किया जा रहा था। इसके शीघ्र परिणाम सामने आने लगेंगे। पर्वतीय क्षेत्र में लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देने के लिए डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म, टेली मेडिसिन एवं स्मार्ट हेल्थ केयर सिस्टम जैसे उपायों पर भी जोर दिया जा रहा है।
