मानव–वन्यजीव संघर्ष रोकने को बड़ा कदम: हर जनपद में नसबंदी केंद्र, रेस्क्यू व रिहैबिलिटेशन सेंटर होंगे स्थापित – मुख्यमंत्री धामी

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देहरादून 20 दिसंबर।
राज्य में बढ़ते मानव–वन्यजीव संघर्ष के मामलों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इससे निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण और दूरगामी निर्णयों की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा और आजीविका को बचाने के लिए सरकार चरणबद्ध और योजनाबद्ध तरीके से प्रभावी कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वन्यजीवों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में सोलर फेंसिंग एवं सेंसर बेस्ड अलर्ट सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इससे हाथी, नीलगाय, भालू, गुलदार, बंदर आदि वन्यजीवों की गतिविधियों की समय रहते जानकारी मिल सकेगी और ग्रामीणों को सतर्क किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि वन्यजीवों की जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से राज्य के प्रत्येक जनपद में वन विभाग के अंतर्गत आधुनिक वन्यजीव नसबंदी (बंध्याकरण) केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही मानव–वन्यजीव संघर्ष में चिन्हित वन्यजीवों के लिए सभी जनपदों में रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर खोले जाएंगे। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम 10 नाली तथा मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम 1 एकड़ भूमि आरक्षित की जाएगी।
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि इन कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा और दो सप्ताह के भीतर इनके क्रियान्वयन की विस्तृत रणनीति प्रस्तुत की जाएगी। वन विभाग को जाल, पिंजरा, ट्रैंकुलाइजेशन गन सहित अन्य आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ₹5 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि भी दी जाएगी।
मानव–वन्यजीव संघर्ष की प्रभावी रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारों के विकेंद्रीकरण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वन्यजीव अधिनियम के सुसंगत प्रावधानों के तहत नियमों में आवश्यक संशोधन कर वन विभाग के रेंजर स्तर के अधिकारियों को अधिक अधिकार दिए जाएंगे, ताकि त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस विषय पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से चर्चा हुई है और केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य में मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएंगे।

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