सनातन विरोध के सौ चूहे खाकर कोई नास्तिक, अपने आस्तिक होने का दावा करे :महेंद्र भट्ट

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देहरादून 19 अप्रैल। भाजपा ने बंगाल में हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा को लेकर विपक्षी खामोशी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने हरदा पर कटाक्ष भी किया कि सनातनी प्रमाणपत्र के लिए यात्रा का पाखंड करने से बेहतर उन्हें अपने आलाकमान को मुर्शिदाबाद जाने के लिए दबाव बनाना चाहिए। इससे बड़ी हिप्पोक्रेसी क्या हो सकती है कि सनातन विरोध के सौ चूहे खाकर कोई नास्तिक, अपने आस्तिक होने का दावा करे।

उन्होंने ममता के राज में हिंदुओं के साथ की जा रही निर्ममता को चिंताजनक और लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक है। आरोप लगाया कि वक्फ संशोधन कानून के विरोध में वहां जिस तरह अत्याचार किया जा रहा है उसे टीएमसी सरकार का पूरा पूरा संरक्षण प्राप्त है। जो लोग तुष्टिकरण की राजनीति कर कश्मीर में पलायन के दोषी हैं, वही आज बंगाल में हो रहे पाप को मौन समर्थन दे रहे हैं। जो राहुल गांधी, अल्पसंख्यक समुदाय पर हुई घटना पर संसद सत्र छोड़कर फोटो सेशन करने सड़कों पर उतर जाते हैं, उनके मुंह से बंगाल में हो रहे अन्याय पर सहानुभूति के दो शब्द नहीं निकल रहे हैं। देश विदेश के तमाम मुद्दों पर रोजाना सोशल मीडिया पर बूस्ट करवाने वाली प्रियंका गांधी, मातृ शक्ति पर अत्याचार और पलायन के ज्वलंत सवाल पर मुंह सिले बैठी हैं।

उन्होंने प्रदेश में यात्रा निकालने वाले हरदा को भी निशाने पर लेते हुए कहा, वे ऐसे आस्तिक हैं जो सनातनियों की पीड़ा के प्रति नास्तिक भाव रखते हैं। वे ऐसे आस्तिक हैं जिन्हें अपने नेताओं में चलने वाली सनातन विरोधी होड़ से कोई आपत्ति नहीं है। ऐसे आस्तिक हैं जिनमें अयोध्या स्थित प्रभु श्री राम के मंदिर जाने का साहस नहीं है, जिनको महाकुंभ में स्नान करने से अपने आलाकमान के नाराज होने का डर सताता हो, जिन्हें प्रदेश की बदलती डेमोग्राफी चिंताजनक नहीं लगती, जिन्हें अवैध धार्मिक अतिक्रमण और मदरसों पर हुई कार्यवाही नाजायज लगती है, जिनकी आस्तिकता गोकसी करने वालों को बचाने में है, जिन्हें मौका मिला तो मां गंगा को नाला बताने में कोई दिक्कत नहीं हुई। लिहाजा जिनका इतिहास सनातन धर्म के प्रति नास्तिकता के ऐसे अनेकों उदाहरणों से भरा हो। उनका इस विषय पर दिया ज्ञान कोरी लफ्फाजी और पाखंड के सिवाय कुछ नहीं है, जिससे प्रदेश की जनता अच्छी तरह वाकिफ है।

उन्होंने हरीश रावत की यात्रा को राजनीतिक हिप्पोक्रेसी की पराकाष्ठा बताया है। ये मुगालता है या शातिरपना कि उन्हें लगता है जनता कुछ भी देख समझ नहीं रही है। लेकिन ये पब्लिक है ये सब जानती है और चुनावों में दिखाती भी है। लिहाजा अब राजनैतिक उम्र के इस पड़ाव पर, समझने और सच स्वीकारने का समय सिर्फ और सिर्फ हरीश रावत के लिए है।

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